Rohina

इतिहास, वीरता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक

रोहिणा, दक्षिण-पश्चिम दिशा में चालुक्य सोलंकी कालीन मृदभांड , प्राचीन सिक्के मानव हड्डियां आदि मिले है। यहाँ पर गुर्जर-प्रतिहार कालीन गोवर्धन स्तम्भ व परमार कालीन देवलियां बहुतायत में मौजूद है, रोहिणा में 11वीं से 18वीं शताब्दी की सर्वाधिक ऐतिहासिक देवलियां है।
महाराजा जसवंत सिंह प्रथम ने 1646 ईस्वी में ठाकुर अभेराज सिंह की वीरता से प्रभावित होकर रोहिणा इनायत किया। इसके अलावा, रोहिणा के वीर सपूतों ने प्रथम विश्व युद्ध में विभिन्न मोर्चों पर सर्वोच्च बलिदान दिया, जिनकी स्मृति में यहां शहीद स्मारक स्थापित किया गया है। रोहिणा न केवल अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी भूमि वीरता, शौर्य और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है।

इतिहास की धरोहर, भविष्य का मार्ग

रोहिणा अपने प्राचीन इतिहास, वीर योद्धाओं और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध, जहां हर कोना गौरवशाली गाथा सुनाता है।

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